Shikha Arora

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -26-May-2022 - पोत्र


पोत्र होता ब्याज का सूत्र,
होता है यह प्यारे पुत्र का पुत्र।
पांव किसी के जब वह छूता है,
मन गदगद उनका होता है।
बुढ़ापे का सहारा पोता बनता,
बुढ़ापे में बचपन का एहसास दिखता।
दादा दादी का मोह पोते में रहता,
नन्हा फरिश्ता स्रोतें में बसता।
मम्मी पापा से छुपकर मिठाई खिलाता,
साथ में उनके फिर खिलखिलाता।
दोस्त सबसे पक्का पोता होता,
सबसे प्यारा वह श्रोता होता ।
कलेजा निकाल रख देते दादा-दादी,
ख्वाहिश रखते देखे पोते की शादी।
पढ़ लिख कर जब शिक्षित होता,
जिंदगी का अनुभव उसको होता।
संस्कार दादा दादी के ही काम आते,
इरादों से पक्का उसको बनाते ।
परहित का ज्ञान पोते को जो मिलता,
काबिल इंसान जग में वह बनता ।
दादा-दादी खुश हो जाते ,
पोते पोती पर आशीष बरसाते।।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

   31
12 Comments

Joseph Davis

28-May-2022 07:46 PM

Nyc

Reply

Shnaya

28-May-2022 12:51 PM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

Reply

Reyaan

28-May-2022 12:05 AM

बहुत खूब

Reply